Sunday, June 21, 2015

जिद्द करने का मन ...

"जाने क्यूँ तुझसे जिद्द करने का मन करता है...
कभी कभी रूठने मनाने का मन करता है...
खुद हूँ कड़ी धूप,
तुम बादल की छाँव में सिमटने का मन करता है...
जाने क्यूँ तुझसे अब बातें करने का मन करता है...
बहुत सी हैं अनकही तस्वीरे सामने मेरेे,
अब उनमे बन कर रंग समाने का मन करता है...
कुछ तुम भी सोचते काश कभी,
अब बन कर गजल तेरे लब्जों में गुनगुनाने का मन करता है...
जाने क्यूँ तुझसे जिद्द करने का मन करता है"



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