Monday, December 6, 2010
मन के भाव
तुमको रोते देखा तुमको हँसते पाया,
निश्छल से भाव देखे मन का गुरु मंथन देखा,
कभी थोड़ा सरल पाया कभी सवालों की काया में लिपटे पाया,
तुमको रोते देखा तुमको हँसते पाया,
राहों में सुकून में पाया मोड़ो पर बेचैन पाया,
मन की लहरों को शब्दों में देखा आँखों में छिपी गहराई को पाया ,
तुमको रोते देखा तुमको हँसते पाया,
कभी चट्टान सा पाया तो कभी मोम सा पिघला पाया,
मै खुद अबुझ पहेली हूँ पर क्या तुम मुझसे भी ज्यादा ,
ये मै खुद अभी जान न पाया ,
तुमको रोते देखा तुमको हँसते पाया,
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