"बातें जो दिल से निकलें और दिल को छू जाये... बातें कुछ हमारी और बातें कुछ तुम्हारी"
"हम प्रशंसा और आत्ममुग्धता के दौर में इतना आगे आ चुके हैं की, अब आलोचना और शिकायतों की कोई जगह नहीं बची है"