Sunday, March 22, 2015

"कुछ नीला आसमान"

"कुछ नीला आसमान आँखों में उतर आया,
आसुंओ में छिपे मीठे लम्हों की याद लाया,
कुछ सिली हवा, कुछ  बादल, कुछ सौंधी सी खुश्बू
और गीली मिट्टी में, बने पैरो के निशान,
बीते समय के पन्नों को हवा में उड़ा लाया,
कुछ नीला आसमान आँखों में उतर आया …
कल नहीं मिल पाया था, उन पन्नो में लिखे शब्दों से,
नहीं कह पाया था, कमी रहेगी हंसी - ठिठोली की,
आज फिर जीभर कर मिलूंगा, बीते लम्हों से,
कुछ मिलने की, कुछ बिछड़ने की, कुछ खोयी राहों की
और बात करूँगा कुछ अनकही शिकायतों की,
कुछ नीला आसमान आँखों में उतर आया,
जिन पन्नो को समझा कोरा ,
उकेरता रहा समय, अटपटे शब्दों को
कुछ सुबह को, कुछ अलसाये दिन को, कुछ ढलती शाम को,
और कुछ रात की बिखरी सलवटों को,
कुछ नीला आसमान आँखों में उतर आया,
आसुंओ में छिपे मीठे लम्हों की याद लाया"