Thursday, April 19, 2012

यांदें

मेरे अधरों की मुस्कान पर मत जाओ,
अन्दर छिपे दर्द को मत कुरेदो,
कहीं ये पानी बनकर आँखों से जो छलका,
तो प्यार का समन्दर बन जायेगा ए यारों......

कभी किसी खूबसूरत मोड़ की तरह हम मिले,
फिर कुछ कदम साथ चले, और.....
उन बीते लम्हों को चलो शब्दों में ढाल दें,
उन्हें यादों का नया नाम दें.

माना नही मिलते दो किनारे एक राह के कभी ....
पर मेरी नजर से देख ऐ दोस्त मेरे ....
कभी जुदा भी नही होते एक दूजे से वो,
दो किनारे एक राह के ....

चलो अब तुम्हारे एहसास को गुनगुनी धूप की तरह जेहन में उतारते है ,
छितिज के आगे की जमीन को तलाशतें हैं ,
क्या हुआ जो मै खुद कारवां ना बन पाया...
तुम्हारे होने के एहसास से ,
जिंदगी के कारवां को नये रास्ते दिखातें हैं ....