Thursday, April 19, 2012

यांदें

मेरे अधरों की मुस्कान पर मत जाओ,
अन्दर छिपे दर्द को मत कुरेदो,
कहीं ये पानी बनकर आँखों से जो छलका,
तो प्यार का समन्दर बन जायेगा ए यारों......

कभी किसी खूबसूरत मोड़ की तरह हम मिले,
फिर कुछ कदम साथ चले, और.....
उन बीते लम्हों को चलो शब्दों में ढाल दें,
उन्हें यादों का नया नाम दें.

माना नही मिलते दो किनारे एक राह के कभी ....
पर मेरी नजर से देख ऐ दोस्त मेरे ....
कभी जुदा भी नही होते एक दूजे से वो,
दो किनारे एक राह के ....

चलो अब तुम्हारे एहसास को गुनगुनी धूप की तरह जेहन में उतारते है ,
छितिज के आगे की जमीन को तलाशतें हैं ,
क्या हुआ जो मै खुद कारवां ना बन पाया...
तुम्हारे होने के एहसास से ,
जिंदगी के कारवां को नये रास्ते दिखातें हैं ....

Monday, February 6, 2012

मेरा मन


बात एक रूठे दिन की है

सूरज बादलों संग मिल मुझसे,आँख मिचौली कर रहा था,

तभी लगा की एक अजनबी भी मेरे अन्दर रहता है,

ध्यान से देखा तो पाया की साया मेरा साथ दे रहा है,

अचानक ही खुद से खुद की मुलाकात हो गयी,

मन में सवालों की उफान था, तो आँखों में निर्जीवता का पीलापन


उसने पूछा जानते हो मुझे,


संकोच भरी मुस्कराहट के साथ मैंने कहा नही,


बहुत जल्दी भूला दिया मुझको, अपने बसाए घरौंदे को

....
आवाज़ जानी-पहचानी थी, समझा तो पाया अपने मन को,


उसने पूछा ..

.....
जिसकी खिड़की से आने वाली शीतल हवाएं तुमको आनंदित करती थी,


दरवाजों पर आने वाले पैरों की थाप तुमको प्रेमग्न करती थी ,


तुमने भूला दिया सब बातों को, मर्यादाओं को


क्या मोड़ो के सामने तुम मुझे सूना छोड़ चले जाओगे,


या फिर संचय करोगे अनमोल यादों को


मै इन्तजार में हूँ तुम्हारे जबाव के,


उसने कहा मुझसे...

.
मुस्कान अधरों पर थी मेरी ...बात तो पूरे जीवन की थी


बस मैंने कहा रहना मेरे भीतर बनकर प्रेम मेरा, घरौंदा मेरा .......


शायद तुम मुझको जान ना पाए, पर अब जानो .

...
और रहो भीतर बन के अपनापन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Monday, January 30, 2012


दर्द कभी ख़त्म ना हो,

यहीं ख़वाहिश है इस बेताब दिल की,

खुशियाँ तो धूप छांव है, आती है जाती है,

दर्द तो अपना साया है,

दिन में दिखता है, अंधेरों में खुद में घर कर जाता है,

कहता हूँ तुझसे ए हमसफर मेरे

रहना मेरे खुद के भीतर सदा बन के धड़कन मेरी ......