तुम्हारे विचारों का प्रारंभ हूँ ,
हर धड़कन की प्रतिध्वनि हूँ मै,
दिन के उजाले में साया हूँ
अंधेरों में तुम्हारा हिस्सा हूँ मै,
गुस्से में छिपी मिठास हूँ
तुम्हारे पलकों का प्यार हूँ मै,
बीते समय के सुखद सलवटें हूँ
यादों को सजीव करने वाली मंजरी हूँ मै,
रात की लोरी हूँ
नींद में तुम्हारा सपना हूँ मै,
अनमोल पलों की मूर्त सीपी हूँ
गिरते हुए कदमो को संभालने का बल हूँ मै,
भोर की पहली किरण हूँ मै
तुम्हारे लिय निशा की असीम शांति हूँ मै,
अकेला नही यह 'मै'
सारांश 'हम' का है ,
इसलिय तुम्हारे विचारों का प्रारंभ हूँ मै...................
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